Friday, February 25, 2022

राजस्थान की लोक गायन शैलियां

 राजस्थान की लोक गायन शैलियां

मांड

  • जैसलमेर क्षेत्र को प्राचीन काल में मांड कहा जाता था 
  • अतः यहां विकसित लोक गायन शैली मांड गायन शैली कहलाती 
  • कालांतर में यह शैली राजस्थान के विभिन्न भागों में लोकप्रिय हुई 
  • जैसे - बीकानेरी मांड, जयपुरी मांड, जोधपुरी मांड, उदयपुरी
  • मुख्य गीत- केसरिया बालम 
  • मुख्य कलाकार - अल्लाह जिलाई बाई(बीकानेर), गवरी बाई, मांगी बाई (उदयपुर), जमीला बानो (जोधपुर), बन्नो बेगम (जयपुर)
  • सबसे प्रमुख कलाकार- अल्लाह जिलाई बाई

मांगणियार

  • यह लोक गायन शैली जैसलमेर, बाड़मेर क्षेत्र में मांगणियार जाति के लोगों द्वारा विकसित की गई 
  • मुख्य वाद्य यंत्र- कमायचा, खड़ताल 
  • मुख्य कलाकार- साकर खा (कमायचा), सदीक खा (खड़ताल का जादूगर) कहा जाता है 
  • सदीक खान मांगणियार लोक कला अनुसंधान परिषद, जयपुर (2003 A. D.) 

लंगा 

  • यह लोग गायन शैली जैसलमेर, बाड़मेर क्षेत्र में लंगा जाति द्वारा विकसित की गई 
  • मुख्य वाद्य यंत्र- कामायचा, सारंगी 
  • मुख्य - गीत नींबूडा

तारबंदी

  • जब औरंगजेब ने संगीत पर रोक लगा दी थी तो ब्रज क्षेत्र के अनेक साधु संत पूर्वी राजस्थान आ गए थे इन साधु संतों द्वारा विकसित लोक गायन शैली तारबंदी कहलाती है
  • मुख्य वाद्य यंत्र- नगाड़ा

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