Saturday, February 26, 2022

राजस्थान के लोकगीत

 राजस्थान के लोकगीत

केसरिया बालम

  • यह राजस्थान का लोकगीत है
  • यह मांड गायन शैली में गाया जाता है 
  • इस गीत में पत्नी प्रदेश में पति को बुलाती है

कुरजा

  • पत्नी कुरजा पक्षी के माध्यम से पति को संदेश भेजती है

सुवटियो 

  • भील महिलाएं तोते के माध्यम से अपने पति के पास संदेश भेजती हैं 

मोरियो 

  • यह गीत ऐसी लड़कियों द्वारा गाया जाता है जिनकी सगाई हो चुकी है पर विवाह होना अभी बाकी है

कामण 

  • दूल्हे को जादू टोने से बचाने के लिए गाए जाने वाले गीत

पावणा 

  • दामाद के ससुराल आने पर गाया जाने वाला गीत

सीठने

  • शादी के समय महिलाओं द्वारा गाए जाने वाली गालियां भरे गीत 

गोरबंद 

  • ऊंट के गले का आभूषण होता है तथा इसे बनाते समय महिलाओं द्वारा गाए जाने वाले गीत को भी  गोरबंद कहते हैं

हिचकी 

  • यह मेवात क्षेत्र का लोकगीत है किसी की याद में यह गीत गाया जाता है 

ढोलामारू 

  • यह सिरोही क्षेत्र का लोक नृत्य है 
  • ढाडी(dandi) जाति के लोगों द्वारा किया जाता है 
  • ढोलामारु राजस्थान की एक प्रेम कहानी है जिसमें ढोला नरवर का राजकुमार तथा मारू बीकानेर की राजकुमारी थी

झोरावा 

  • जैसलमेर क्षेत्र का लोक नृत्य है 
  • जो कि किसी की याद में गाया जाता है 

हमसीढो 

  • भील महिला - पुरुषों द्वारा गाए जाने वाला गीत 

पीपली 

  • यह शेखावाटी  तथा मारवाड़ क्षेत्र का लोकगीत है 
  • जो तीज के समय गाया जाता है 
  • इसमें पत्नी अपने परदेस गए पति को बुलाती है

चिरमी

  • ससुराल में रह रही लड़की चिरमी पौधे के माध्यम से अपने पीहर को याद करती है 

ओन्यूं  या कोयल 

  • लड़की की विदाई के समय गाया जाने वाला गीत

बिच्छूडो

  • यह हाडोती क्षेत्र का लोकगीत है 
  • बिच्छू के काटने से मर रही पत्नी अपने पति को दूसरा विवाह करने की सलाह देती है

NOTE : राजस्थान में बहुत सारे लोकगीत हैं परंतु कंपटीशन परीक्षाओं की महत्वता को देखते हुए यह सबसे महत्वपूर्ण लोकगीत हैं जो अनेक परीक्षाओं में आते रहते हैं तथा लगभग इनमें से ही पूछे जाते हैं

Friday, February 25, 2022

राजस्थान की लोक गायन शैलियां

 राजस्थान की लोक गायन शैलियां

मांड

  • जैसलमेर क्षेत्र को प्राचीन काल में मांड कहा जाता था 
  • अतः यहां विकसित लोक गायन शैली मांड गायन शैली कहलाती 
  • कालांतर में यह शैली राजस्थान के विभिन्न भागों में लोकप्रिय हुई 
  • जैसे - बीकानेरी मांड, जयपुरी मांड, जोधपुरी मांड, उदयपुरी
  • मुख्य गीत- केसरिया बालम 
  • मुख्य कलाकार - अल्लाह जिलाई बाई(बीकानेर), गवरी बाई, मांगी बाई (उदयपुर), जमीला बानो (जोधपुर), बन्नो बेगम (जयपुर)
  • सबसे प्रमुख कलाकार- अल्लाह जिलाई बाई

मांगणियार

  • यह लोक गायन शैली जैसलमेर, बाड़मेर क्षेत्र में मांगणियार जाति के लोगों द्वारा विकसित की गई 
  • मुख्य वाद्य यंत्र- कमायचा, खड़ताल 
  • मुख्य कलाकार- साकर खा (कमायचा), सदीक खा (खड़ताल का जादूगर) कहा जाता है 
  • सदीक खान मांगणियार लोक कला अनुसंधान परिषद, जयपुर (2003 A. D.) 

लंगा 

  • यह लोग गायन शैली जैसलमेर, बाड़मेर क्षेत्र में लंगा जाति द्वारा विकसित की गई 
  • मुख्य वाद्य यंत्र- कामायचा, सारंगी 
  • मुख्य - गीत नींबूडा

तारबंदी

  • जब औरंगजेब ने संगीत पर रोक लगा दी थी तो ब्रज क्षेत्र के अनेक साधु संत पूर्वी राजस्थान आ गए थे इन साधु संतों द्वारा विकसित लोक गायन शैली तारबंदी कहलाती है
  • मुख्य वाद्य यंत्र- नगाड़ा